यह गीत केवल माँ की वंदना नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और पुनर्जागरण की प्रक्रिया है। यह बताता है कि जब साधक माँ को “गुरुवर” मानता है, तब जीवन का हर अंधकार आलोक में बदल जाता है। और यह रचना भक्ति के चरम सौंदर्य को छूती है।भक्ति शक्ति आराधना प्रार्थना भजन कीर्तन अर्चन गीत, भर दो बल बुद्धि से मुझको मेरा हाथ धर लो, Bhar Do Bal Buddhi Se Mujhako Mera Haath Dhar Lo, Writer ✍️ #Halendra Prasad,
गीत =} #भर दो बल बुद्धि से मुझको मेरा हाथ धर लो
#Bhar Do Bal Buddhi Se Mujhako Mera Haath Dhar Lo
Writer ✍️ #Halendra Prasad
BLOGGER=} 🙏♥️ #मेरी_हृदय_मेरी_माँ ♥️🙏
मेरा अन्तिम है निवेदन मईया बात सुनलो
भर दो बल बुद्धि से मुझको मेरा हाथ धर लो
मेरी कमजोरी को तुम जड़ से मिटा दो
गिरा हूँ मैं नर्क बीच में हाथ को थमा दो
खुद की खुशी का अंधा हूं खुद ही भरूंगा
अपनी लाशों को मै अपने पर रखूंगा
सुख देदो शक्ति दे दो तुम सहारा
आया हूँ मैं दर पे तेरी बनके आवारा
खोजता फिरता था जब मैं दर दर भटक कर
देख नहीं पाया मै तुम्हें अहंकार में लिपट कर
मेरा अन्तिम है निवेदन मईया बात सुनलो
भर दो बल बुद्धि से मुझको मेरा हाथ धर लो
कैसे उपेक्षा करु दुख जो लाया था उसका
झेलता हूँ हंसकर मईया पाया था जो जीवन उसका
तेरे भक्ति के बल पे खिला मै गुलाब बनके
सुख गई आँखें मेरी जीता हूँ आवाज बनके
रूठ गई अंधेरा मेरी चिराग जब आया था
बड़ी मुश्किल से मैने दीपक को सजाया था
चाहतों की चाह ने मुझे बावरा बनाया
चलना था अकेला मुझको तभी तो बुलाया
जिन्दगी सजी थी जैसे सजता मुकाम है
टूट गया हाथ मेरा दिल भी बदनाम है
मेरा अन्तिम है निवेदन मईया बात सुनलो
भर दो बल बुद्धि से मुझको मेरा हाथ धर लो
देदो मुझको शक्ति मैया करुना उपेक्षा कभी
दिन हीन सज्जन को करूं दिलसे सहायता अभी
तेरी चरणों में नत मस्तक होके अर्जी लगाता हूँ
तूही मेरी गुरुवर माता तुझको बताता हूँ
बेटा भी हूं तेरा मईया शिष्य भी तेरा
श्रद्धा से तू भरदे मुझको भक्त हूं मै तेर
देख दुर्जन की शक्ति सबको ललकारे
लघु होना पाता मईया सबको दुदुकारे
मन मेरा उन्नत कर दे जख्म मेरी भर दे
दुआओं की ढेर से उलझन मेरी भर दे
मेरा अन्तिम है निवेदन मईया बात सुनलो
भर दो बल बुद्धि से मुझको मेरा हाथ धर लो
युग युग की साथी माँ तू युग युग की माँ है
साथ चलने वाली माता तूही मेरी माँ
कष्ट दुःख संकट हरनी वेद भवानी तू
सुख को पेठाने वाली तूही जिंदगानी माँ
तेरी चरणों में रहकर जीवन बिताऊं मैं
रोज रोज पूजा करु अलख जगाऊं मैं
मस्तक अपना रखदूं मैं तेरे चरणों की धाम में
ख्वाइशों को छोड़कर मैं नाम जपूं प्यार में
हे काली दुर्गा अम्बा ध्यान में तू आजा मेरी
दिल में समाकर मुझमें प्यार को बरसा जा अपनी
मेरा अन्तिम है निवेदन मईया बात सुनलो
भर दो बल बुद्धि से मुझको मेरा हाथ धर लो
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#Bhar Do Bal Buddhi Se Mujhako Mera Haath Dhar Lo
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