नवरात्रि के शुभ अवसर पर माँ दुर्गा की अद्भुत महिमा भक्तिपूर्ण भक्तिरस वीररस करुणारस शक्ति ऋतु रंग हृदय पुकार वेद की वाणी और देवी की अलौकिक सौन्दर्य संगम के साथ भक्ति शक्ति आराधना प्रार्थना भजन कीर्तन अर्चन दिव्य गीत, स्वर्ण ध्वज की चली पताका हे दुर्गा तेरी माया में, Svarn Dhvaj Ki Chali Pataaka He Durga Teree Maaya Mein, Writer ✍️ #Halendra Prasad,
#Svarn Dhvaj Ki Chali Pataaka He Durga Teree Maaya Mein
Writer ✍️ #Halendra Prasad
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जल उठे है दीपक एक साथ तेरी छत्र की छाया में
स्वर्ण ध्वज की चली पताका हे दुर्गा तेरी माया में
रथ से उतर पिलाई पानी निर्धन धनी गरीबों को
गोद उठाकर सुला लिया माँ अपने पुत्र जवानों को
मैं सुमिरन तुझे करता हूँ माँ करता बारम बार प्रणाम
हर्ष उमंग को भरदे मुझमें मैं आया हूँ तेरे द्वार
जल उठे है दीपक एक साथ तेरी छत्र की छाया में
स्वर्ण ध्वज की चली पताका हे दुर्गा तेरी माया में
लाज गर्व सब कांप उठे है देखकर तेरी रूप विशाल
युद्ध भूमि में योद्धा माँ जूझकर किया तुझे सलाम
सबके मन में जोश जगादे बल शक्ति तलवार थमादे
कंपित हृदय में आग लगाकर काली की तू रूप दिखादे
संग्राम की धूम मची है जग में तू संग्राम की देवी है
पल में परलय लाती है माँ तूहीं युद्ध की नीति है
जल उठे है दीपक एक साथ तेरी छत्र की छाया में
स्वर्ण ध्वज की चली पताका हे दुर्गा तेरी माया में
हे जग जननी वेदविधाता तू सृष्टि की माता है
धूल से सबको बाहर निकाली तूही ब्रह्माण्ड की दाता है
ग्रीष्म ऋतु में आती है जब वर्षा लेकर आती है
धरती को अन्नो से भरदे जल को दूध बनाती है
शरद ऋतु में आती जब माँ बल बुद्धि धनवान बनाती
बसन्त ऋतु में आकर माँ ज्ञान की सब पाठ पढ़ाती
जल उठे है दीपक एक साथ तेरी छत्र की छाया में
स्वर्ण ध्वज की चली पताका हे दुर्गा तेरी माया में
आभार प्रकट जब करती माँ तू हंसकर अपनी वेद पढ़ाती
मुझ बालक अभिमानी को माँ अपनी सारी ज्ञान पठाती
मृदुल मुलायम कोमल वाणी हाथ कँवंडल रखती तू
सद्भाव भरे जीवन में माँ तू बड़ी दयालु लगती तू
एक नजर जब देखूं तुझको जीवन का सब कष्ट भागे
सम्मुख खड़ा जब होता मैं तो मेरे हृदय से पाप हरे
जल उठे है दीपक एक साथ तेरी छत्र की छाया में
स्वर्ण ध्वज की चली पताका हे दुर्गा तेरी माया में
अदभुत सुन्दर प्रेम तेरा माँ तू मेरी जन्म दाता है
मैं तेरा बालक हूँ मईया तू मेरी विधाता है
पुष्प माला की फूलों से माँ मैं तेरी हाल सजाऊं
अर्घ चढ़ा कर आशु से माँ तुझको मैं मनाऊं
विस्मित खड़ी हो चुपचाप क्यों कुछ बोलो माँ दुर्गा
बेटा तेरा खड़ा है मैया लेकर हाथ में पूजा
जल उठे है दीपक एक साथ तेरी छत्र की छाया में
स्वर्ण ध्वज की चली पताका हे दुर्गा तेरी माया में
बीत रहा है समय हमारा ना सुनती माँ मेरी
हृदय हमारा पुकार रहा है हे कल्याण की देवी
तेरी जलसों के जलथल में माँ भीड़ बड़ी है भारी
रथ चक्रों की आवाज़ गूंजी है हे दुर्गा काली
सजकर निज वैभव को सजा दर्शन तेरा चाहे मन
सबके पीछे खड़ा हृदय है तेरी राह को ताके मन
जल उठे है दीपक एक साथ तेरी छत्र की छाया में
स्वर्ण ध्वज की चली पताका हे दुर्गा तेरी माया में
भग्न हृदय में रखा मैं माँ तुझको करता नित्य प्रणाम
उदास बैठा है आत्मा मेरी याद करता है तेरी धाम
रो रो कर ये आँखें सुख गई गंगा ने मुँह मोड़ा
आस में तेरी तड़प रहा दिल मन ने दिल से बोला
स्वधा स्वाहा कला काष्ठा माँ सरस्वती वेदमाता
वेद वेदान्त तेरा ही नाम है तूही भाग्य विधाता
जल उठे है दीपक एक साथ तेरी छत्र की छाया में
स्वर्ण ध्वज की चली पताका हे दुर्गा तेरी माया में
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