यह गीत भक्ति सौन्दर्य और आत्मानुभूति का संगम है और आध्यात्मिक संदेशवाहक जो के मन को गुरु दिशा में ज्ञान और प्रेम के वाहक की ओर ले जाता है।भक्ति शक्ति आराधना प्रार्थना भजन कीर्तन अर्चन गीत, गगन मेघों से ढका है नदी के उस पार गुरुवर, Gagan Megho Se Dhaka Hai Nadi Ke Us Par Guruvar, Writer ✍️ #Halendra Prasad,

 

गीत =} #गगन मेघों से ढका है नदी के उस पार गुरुवर 

#Gagan Megho Se Dhaka Hai Nadi Ke Us Par Guruvar 

           Writer ✍️ #Halendra Prasad 

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      शीतल मंद मंद पवन ने घेरा जीवन का विहार गुरुवर 

          गगन मेघों से ढका है नदी के उस पार गुरुवर 

            किता सुन्दर लगता है ये पक्ष्या बयार में

          रुनु झुन्नू बरसे बादल आषाढ़ के प्रभात में

            धरती पे हरियाली छाई जग जगमगाया 

              पके पके खेतों में सुगन्ध बनके छाया 

           मीठी मीठी बोली बोले कोयल आम बाग में

            बारिसों की गन्धो ने मचाया सोर प्यार में

     शीतल मंद मंद पवन ने घेरा जीवन का विहार गुरुवर 

          गगन मेघों से ढका है नदी के उस पार गुरुवर 


          ताजगी हवाएं मन को बार बार अकुलाती है 

         दिल की आशुओं को ये खींच कर ले जाती है

         रख ले मेरे मनको वश में रख ले मेरे प्राणों को

            बल से ना रखे मुझे रख ले वो अदाओं से

               हरे हरे नीले नीले स्वर्ण की कनक है

              सोने जैसा रूप इसका देती ये खबर है

           घोल दिया मन में मेरे सौंदर्य की वो खुशबू 

         दिल तिलमिलाया है मैं देखू इधर उधर तितली

     शीतल मंद मंद पवन ने घेरा जीवन का विहार गुरुवर 

         गगन मेघों से ढका है नदी के उस पार गुरुवर 


           जाग्रत किया है मुझे बारिशों की अमृत ने

           गगन ने भेजा है तल पे बारिशों के ईश्वर ने

             सुधा धन धरा पर जब गिरता है पानी 

             धरती सुहागन लगाए सुख की रवानी 

          भावके तट पथ पे हमने देखा जो उजाला 

            हठ करके खाड़ा है ममता की कावला

      जन जन की फूलों ने मुझे हंस हंसकर बताया है

           खुशबू की ख्वाब लेकर सपने में आया है

   शीतल मंद मंद पवन ने घेरा जीवन का विहार गुरुवर 

         गगन मेघों से ढका है नदी के उस पार गुरुवर 


          मेरी भाग्य कैसा है प्रभु मैं समझ ना पाता

          आगे जो भी आता है उसे बदल ना पाता 

            मान सम्मान आदर पद ना प्रतिष्ठा मांगू 

       मांगू मैं आषाढ़ की प्रभा सुबह का सवेरा मांगू

             मेरी चेतना में गुरुवर वर अपना दे दो 

             गुथ दो मेरे मन में आदर आवाज देदो

          दिया है तू सब कुछ मुझको अपनी दुआ से

        भर दे मुझमें खुशियां गुरुवर अपने में बैठा के

   शीतल मंद मंद पवन ने घेरा जीवन का विहार गुरुवर 

        गगन मेघों से ढका है नदी के उस पार गुरुवर 

गीत =} #गगन मेघों से ढका है नदी के उस पार गुरुवर 

#Gagan Megho Se Dhaka Hai Nadi Ke Us Par Guruvar 

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टिप्पणियाँ

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