माँ की ममता और दया में सच्चा किनारा और अमृत मिलता हैं दर्शानी भाव भक्ति रस से पूर्ण भक्ति, शक्ति आराधना प्रार्थना भजन कीर्तन अर्चन गीत, ये समन्दर भी घमंडी बड़ी मतलबी निकला, Ye Samandar Bhee Ghamandee Badee Matalabee Nikala. Writer ✍️ #Halendra Prasad
गीत=} #ये समन्दर भी घमंडी बड़ी मतलबी निकला
#Ye Samandar Bhee Ghamandee Badee Matalabee Nikala
Writer ✍️ #Halendra Prasad
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ये समन्दर भी घमंडी बड़ी मतलबी निकला
लेकर लहरों से जान दिल फिरंगी निकला
ख्वाबों का राजा है सपनो में ये चूर है
ताकत इसकी लहरे है किनारा मजबूर है
छोड़ देती साथ सांसे इसमें नहाकर
धड़कनों को रोक देता आंखो को सुलाकर
कितने वारदात करता कितने को बुलाता
वाकिफ था हर कांड से वो कितने को रुलाता
ये समन्दर भी घमंडी बड़ी मतलबी निकला
लेकर लहरों से जान दिल फिरंगी निकला
किसको सुनाए लोग अपनी वो दास्तां
रात के तिमिर में देखे जिन्दगी के वास्ता
उलझनों का शोर बड़े मुश्किलों का राजा था
जिन्दगी आसान ना करता साजाओ का दादा था
खामोशियों की तह में सब कुछ को छुपाया
सारी उलझनों को लोग ने आंखों से गिराया
मिट्टी की घड़ों के जैसा जिन्दगी था न्यारा
डर था उस पानी का जिसके बारिशों ने मारा
ये समन्दर भी घमंडी बड़ी मतलबी निकला
लेकर लहरों से जान दिल फिरंगी निकला
पहुंच पहचान एक अजीबे तरतीब है
फल है मीठा जिसका उसका ही नाम है
आईना आलोचकों का फर्क लोग बताते है
साफ करे तन को जो वो आईना को नहलाते है
मन की मुराद भी आईना में दिख जाता
दिखता है मन की इच्छा सामने दिखता
कोई देखता है आंख बंद कर अंधेरा से
कोई देखता सब कुछ सामने के डेरा से
ये समन्दर भी घमंडी बड़ी मतलबी निकला
लेकर लहरों से जान दिल फिरंगी निकला
सागर से जो जुड़ जाता पाता ना किनारा को
माँ की शरण देता जीवन की सहारा को
चाहे जितनी धोखा देदे लहरों की लहर
माँ की चरणों की सागर दिखाता है डगर
सूखता घमंड है जैसे सूखता पानी
माँ की दया से अमृत बरसाता बादल
खिल जाती जीवन सारी दौड़ आती खुशियां
माँ की ममता की धार बरसती दुखियां
गीत=} ये समन्दर भी घमंडी बड़ी मतलबी निकला
#Ye Samandar Bhee Ghamandee Badee Matalabee Nikala
Writer ✍️ #Halendra Prasad
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🙏
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