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गीत =} #कोई वाग्देवी कहे कोई हंसवाहिनी
#Koee Vaagdevee Kahe Koee Hansavaahinee
Writer ✍️ #Halendra Prasad
BLOGGER=} 🙏♥️ #मेरी_हृदय_मेरी_माँ ♥️🙏
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भरलो बूंद बूंद ज्ञान को मन के घड़ा में भाईजी
रोज रोज आता है ये दिल के विरह में भाईजी
थोड़ा थोड़ा अर्जित करो वेदों को सवारों
पढ़ डालो सृष्टि सारा अज्ञान को उजारो
दीप को जलाकर तुम अंधियारा को भगाओ
गुरु ज्ञान लेलो भाई जीवन को सजाओ
सच्चे पथ का साथी गुरु है ज्ञान का समंदर
मुख में बस्ती है विद्या से शारदा उनके अंदर
कोई वीणावादनी कहे कोई कहे भारती
कोई वाग्देवी कहे कोई हंसवाहिनी
भरलो बूंद बूंद ज्ञान को मन के घड़ा में भाई जी
रोज रोज आता है ये दिल के विरह में भाईजी
गुरु की कृपा में सारे वेदों का सार है
गूढ़ की छाया में जीवन बनता तुषार है
मार्गदर्शन करते है जब ज्ञान के पिटारा से
खोल देते रास्ता सारा ध्यान के सहारा से
समझो तुम महत्व उनकी गहराई में उतरकर
छाप डालो मन में ज्ञान चरणों से लिपट कर
रूप है स्वरूप उनका जैसे माँ रूप है
ज्ञान के पिटारा में ये जीवन का सब धूप है
कभी नरम कभी गरम कभी कभी बरसते है
उचित अनुचित का मार्ग पत्थर बनके भरते है
भरलो बूंद बूंद ज्ञान को मन के घड़ा में भाईजी
रोज रोज आता है ये दिल के विरह में भाईजी
जीवन के ये रंगमंच पे ज्ञान है जरूरी
जैसे भोजन तन को सजता वैसे ज्ञान धुरी
ख्याल का कीमत जब भाई याद बनकर आता है
खो देने का गम सारा दर्द में दिखाता है
सफर भी सुहानी होगी मंजिल भी सुहाना
आंखों की पानी सूखेगी जाएगा जमाना
ज्ञान ना मुश्किल है भाई पाना है आसान
बांटने से बढ़ते जाता जीवन में सब प्यार
शिव का तुम नाम लो चाहे दुर्गा का तुम नामलो
सब में ज्ञान रहता है सत्य से तुम कामलो
भर लो बूंद बूंद ज्ञान को मन के घड़ा में भाईजी
रोज रोज आता है ये दिल के विरह में भाईजी
गीत =} #कोई वाग्देवी कहे कोई हंसवाहिनी
#Koee Vaagdevee Kahe Koee Hansavaahinee
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