||अविनाशी आत्मबल||
||अविनाशी आत्मबल||
शक्ति का भण्डार पड़ा है देख जरा तू तन को
हाथ पांव छाती को ध्यान करो तुम रब को
दबा नहीं सकता है कोई कुचल नहीं सकता
बुद्धि को अपनाकर देख कोई मसल नहीं सकता
असीम शक्ति है तन में तेरे ताकत है भरमार
इन्द्रव्रज के जैसा चमक रहा बुद्धिमान
बिजली जैसी तड़क रहा है बादल जैसा गरज रहा है
चलती ना किसी औरके आगे देखो कैसे दमक रहा है
सामर्थ्य भरा है तुझमें शक्तिका विशाल पुंज है तुझमें
भरा पड़ा है रोम रोम में उत्कृष्ट भरा है तुझमें
हाथ पसार कर मांगो ना तुम ध्यान धरो जरा बलकों
जरूरत ना है देव कृपा की देख जरा तू मनकों
कौन तुझे छल सकता कौन तुझे मार सकता
क्षुद्र आघात प्रतिघातों से कौन तुझे डाट सकता
पत्थर को पिघला दे तू लोहे को गला दे
हिम्मत भरा है किसमे जो तुझको अब विचला दे
निर्दोष आनन्द तू अविनाशी आत्मा है विश्वासी
सत्य ज्ञान का रुप तुम्हारा शोक रही आज्ञाकारी
मुक्त स्वभाव का देव है तू भय तुझसे भाग जाता
दुःख क्लेश सब आग में
जलता राख बन मिट जाता
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