कविता =} #धूप की छांव में सुकून की तलाश, Dhup Ki Chhanv Men Sukun Ki Talash, Writer ✍️ #Halendra Prasad,
कविता =} #धूप की छांव में सुकून की तलाश
#Dhup Ki Chhanv Men Sukun Ki Talash
Writer ✍️ #Halendra Prasad
BLOGGER=} 🙏♥️ #मेरी_हृदय_मेरी_माँ ♥️🙏
🙏❤️ #Meri_Hriday_Meri_Maa❤️
जिन्दगी की सफर में भटक कर हम थक जाते है
सांसे अटकती है तो हम मर जाते है
जोड़कर तोड़ने वालों की ये दुनिया बड़ी रंगीन है
जो रंगों के आगोश में आते है वो बिखर जाते है
ये लम्हे अक्सर छोड़ जाती है
बिते हुए पल कों आंखों में ठोक जाती है
जो बीत गया उसे भूल जा आने वाले पे खिल जा
सुकून देने की कला पीपल से सिख
धूप में जलकर राही से मिल
छांव बांटते बांटते खोखला हो जा
किसी परिंदे की घोंसला हो जा
जलते हुए शरीर को छांव देदे
बरसते हुए बादल को रुकाव देदे
मरने के बाद भी सुकून दे जीतेजी भी सुकून दे
काटने वालों को काटने दे आहट को डांटने दे
धीरज रख मौसम तो आने दे
रोते हुए रोम रोम से पानी जाने दे
पत्थरों में दरारा पढ़कर अब तो टूट जाने दे
हर श्रम करने वाला हिसाब मांगता है
अपने हुनर का खिताब मांगता है
कौन चोर कौन सिपाही
खंजर भी अपने कर्मो का बलिदान मांगता है
भाव का भूखा सागर से पूछा
तूने रिश्तेदारी करना नदियों से क्यों सिखा
भूखा नहीं है फिर भी तुझे भोजन चाहिए
लगाव नदियों से रखता है क्या तुझे पानी चाहिए
कभी फिसलकर कभी उच्छल कर आते हो
कभी गंगा तो कभी कोशी की गाथा सुनाये हो
कुछ कमाओ तो कुछ लुटाया करो
पैसों के साबुन से दिल भरकर नहाया करो
दागों को जमने दो लोगों को कहने दो
पत्थर के कानों से आवाजों को लड़ने दो
जिन्दगी है तो उल्फते आती रहेगी
कदम कदम पे स्याहीया दाग बनाती रहेगी
मतलब कि वजन बड़ी भारी होती है
आंखों में चिंगारी हृदय से यारी होती है
पतझड़ की तरह एकदिन गिर जाते सारे पत्ते
जब मौसम की अपनी तैयारी होती है
कविता =} #धूप की छांव में सुकून की तलाश
#Dhup Ki Chhanv Men Sukun Ki Talash
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