|| चूहे की धन यात्रा लोभ लाचारी और कृपा||, Writer ✍️ #Halendra Prasad,

        || चूहे की धन यात्रा लोभ लाचारी और कृपा||

             Writer ✍️ #Halendra Prasad 

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          चूहे ने यह कहा कि चुहिया छाता और छड़ी दो

           लाया था जो बड़े सेठ के घर से वो पगड़ी दो

             तड़प रही है इच्छा मेरी कैसे तुझे बताऊं 

          भूख प्यास की खुजली धन है कैसे इसे कमाऊ 

          धनवान बनू बलवान बनू मै कैसे धन कमाऊ

         कौन कौन से रस्ते इसके किसको मै अपनाऊ 

     नौकरी खेती विद्या ब्याज व्यापार भिक्षा मुझे दिखता

         मंजिल एक मेरी है उपाय हजार मुझे दिखता

          नीद नहीं मुझे आती सोच मुझे अब खाती 

        किस पथ पे मैं चलूं कमाने रास्ता हमे बुलाती 

             सोच में पड़ कर मन मेरा अकुलाता

           नोकरी नौकर के परिणाम हमें विचालता 

       रातों दिन प्रणाम करना है डाट डपट को खाना

       जाग ना पाता दिल मेरा धनवान नहीं बन पाता

        खेती विद्या बस की नाहीं यही मुझे विचलाता 

       सूदखोरी से जीवन सारा सुस्त बेकार हो जाता

    डर लगता है ब्याजसे हमको पल पल आहे भरता हूँ 

        डूब ना जाए धन मेरा रकम रखकर जरता हूँ 

     एक ही रास्ता रह जाता है निर्णय लिया है प्राणों ने

      व्यापार करेंगे लकड़ी का धनवान बनाए अपनो ने

      योजना एक बनाई हमने दोस्तों ने विस्तार किया

     सस्ता खरीद करेंगे जीविका महंगे में सब बेच दिया

     खरीद लाया उस गाड़ी को जिसमें माल ढोना था

     गोला गोला बैला लाया है शक्ति बड़ी अलबेला था

       धान गेहूं ज्वार खरीदे सब मन में धूम समाई 

     चल पड़ा मैं शहर की ओर ठुमुक ठुमुक अगड़ाई 

       धनवान बनने की होड़ो ने धन के लोभ बढ़ाया

      लाद दिया सब बोझ दबाकर दौलत ने फुसलाया

        बड़ी विपत्ति आन पड़ी है कैसे इसे सम्भालू 

     एक बैल मूर्छित हो गिरा दूजे टांग टूटी बड़ी भारी 

         चिन्ता से चतुराई घटी है बुरा हाल हमारा

  सोच सोच कर मन घबराया डर से कांप रहा तन सारा

        चोर चूहाड़ घने है जंगल कब क्या हो जाए

         माथे चढ़ी पसीना ऐसी दर्द नहीं मुरझाए

  सोच विचार बड़ी बढ़ भागी देखभाल करे कौन साथी

  आस किया विश्वास किया बुद्धिमानों के साथ चला 

     नुकसान ना हो पाए ज्यादा थोड़े पे विश्वास किया

   अगर मगर सब फीके पड़ गए बुद्धिमान मिले है साथी

         छोड़ दिया उन बैलों को दुख में तड़पें राती 

      संदेश दिया वो आग्रह में बैलों की कही कहानी

      झूठ बोले मर गए है बैला उस रात आई तूफानी 

         कैसा बेला आया भंवरों ने शोर मचाया ना

     लुट गई सारी दौलत मेरी मुझे कभी चेताया ना

       जख्म भरी घावों ने बैलों को बड़ी सताया

       रूखी सुखी घासों से दिन को कैसे बिताया 

     सुनली भगवन महादेव ने नन्दी की पूरी कहानी 

        ठीक हुए उन घावों से जिसने रची पलानी 

      || चूहे की धन यात्रा लोभ लाचारी और कृपा||

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