फूलों की महक से वो बनी है नगीना भगवान, Fulo Ki Mahak Se Vo Bani Hai Nagina Bhagawan, Writer ✍️ #Halendra Prasad, भक्ति शक्ति आराधना प्रार्थना भजन कीर्तन अर्चन गीत,
गीत =} #फूलों की महक से वो बनी है नगीना भगवान
#Fulo Ki Mahak Se Vo Bani Hai Nagina Bhagawan
Writer ✍️ #Halendra Prasad
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मोटे पतले तारों में मोटे पतले तारों में
जकड़ा जीवन का सब वीणा भगवान
कैसे बरसेगी वो मीठा स्वर कैसे बरसेगी वो मीठा स्वर
फूलों की महक से वो बनी है नगीना भगवान
रस के सिंगार से वो सबको लुभाती
मन में बैठकर वो दिलको बहलाती
राजा के जैसा अपने भेष को सजाई
क्या होगा माया बनकर मुखड़ा चमकाई
रतन मणि से सजकर भरती है हुंकार जब
डर लागे देखकर उसको टूट जाता प्यार तब
मोटे पतले तारों में मोटे पतले तारों में
जकड़ा जीवन का सब वीणा भगवान
कैसे बरसेगी वो मीठा स्वर कैसे बरसेगी वो मीठा स्वर
फूलों की महक से वो बनी है नगीना भगवान
बेसुरी जटिलता में अब दिखता स्वरूप है
प्राण का व्याकुलता जला दिखता ना रूप हैं
बार बार रागिनी बनकर करती विवश वो
साधन हीना बनकर आती रुकती ना तीर वो
बादल जैसे गरजे वो बिजली जैसे तड़के
आंखों में जहर भरकर दर्द जैसे फड़के
धूप हवा आंधी को साथ लेकर आती जब
कर देती उथल पुथल बल को दिखाती तब
भांति भांति खेल खेलती काली बन जाती है
अबला के रूप में आकर दुर्गा बन जाती है
मोटे पतले तारों में मोटे पतले तारों में
जकड़ा जीवन का सब वीणा भगवान
कैसे बरसेगी वो मीठा स्वर कैसे बरसेगी वो मीठा स्वर
फूलों की महक से वो बनी है नगीना भगवान
ठीक स्वर में बजती नाही सुन्दर शालोनी
रूप बहुत प्यारा मोहक भावना है खारी
जीवन के वीणा पर जब लोढ़ा घूमाती
कठिन व्यथा गाए राग सहन ना हो पाती
सभा बीच जाए कैसे मन घबराता
दौड़ी आती लज्जा जब सर झुक जाता
बैठे है गुणवान जहां कैसे वहां जाऊं
कैसे बैठूं उनके पास खड़ा रह जाऊं
मन सुना दिल सुना पीछे में खड़ा हूँ
हाथों में हथकड़ी बांधकर दल दल में धंसा हूँ
कैसे बरसेगी वो मीठा स्वर कैसे बरसेगी वो मीठा स्वर
फूलों की महक से वो बनी है नगीना भगवान
गीत =} #फूलों की महक से वो बनी है नगीना भगवान
#Fulo Ki Mahak Se Vo Bani Hai Nagina Bhagawan
Writer ✍️ #Halendra Prasad
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