उठे मन में तरंग जैसे बजे मधुर गान गुरुवर, Uthe Man Men Tarang Jaise Baje Madhur Gaan Guruwar, Writer ✍️ #Halendra Prasad, भक्ति शक्ति आराधना प्रार्थना भजन कीर्तन अर्चन गीत,
गीत =} #उठे मन में तरंग जैसे बजे मधुर गान गुरुवर
#Uthe Man Men Tarang Jaise Baje Madhur Gaan Guruwar
Writer ✍️ #Halendra Prasad
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मुझे देदो वैसा कान जैसे बजे बांसुरी तान गुरुवर
उठे मन में तरंग जैसे बजे मधुर गान गुरुवर
जाग जाऊ उस स्वर में जैसे बजे बांसुरी
फूल खिले जैसे वन में वैसे खिले आतुरी
स्वर का मिठास ना भूलूं भूलूं ना मै तुझको
सहज में पा लूं तुझे याद करू तब को
वन उपवन के बगीचा जैसा खूब लहलहाऊ
प्राण में बसाके गुरुवर सेवा में बिताऊं
मुझे देदो वैसा कान जैसे बजे बांसुरी तान गुरुवर
उठे मन में तरंग जैसे बजे मधुर गान गुरुवर
मन मतवाला है ये यादों में तू रहता
सब जगह दिखे तू जहां जहां रहता
लालच के घूंघट में ये दौड़ दौड़ जाता है
बुझे नाही बात ये ईच्छा को जगाता है
प्राणओ की क्या बात कहे सांसों में वो रहता
जीवन में शक्ति ऊर्जा हवा से सब भरता
आंधी सा आनन्द लेके जब जब आता है
मन को बहलाकर वो तो साथ लेके जाता है
मुझे देदो वैसा कान जैसे बजे बांसुरी तान गुरुवर
उठे मन में तरंग जैसे बजे मधुर गान गुरुवर
नाच उठे सुन कर झंकार सब वीणा का
चित्त चेतना से बोले आज मेरे सीना का
देशों दिशाओं का वो करता है भ्रमण
सागर में रहकर वो सागर में ढूंढता है लहर
कहता है सुखों की वो देवी को निकालू मैं
जिसकी कल्पना करु उसको बुलाऊं मै
चलो तत्काल मुझे लेकर उस सागर में
रहती है शान्ति बनके माता जीस बादर में
मुझे देदो वैसा कान जैसे बजे बांसुरी तान गुरुवर
उठे मन में तरंग जैसे बजे मधुर गान गुरुवर
गीत =} #उठे मन में तरंग जैसे बजे मधुर गान गुरुवर
#Uthe Man Men Tarang Jaise Baje Madhur Gaan Guruwar
Writer ✍️ #Halendra Prasad
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