भगवन भजन कीर्तन अर्चन गीत, हे मन तूही है वो भ्रमरी चित्त को भ्रमित करती है, He Man Tuhi Hai Vo Bhramari Chitt Ko Bhramit Karti Hai, Writer ✍️ #Halendra Prasad,
गीत =} #हे मन तूही है वो भ्रमरी चित्त को भ्रमित करती है
#He Man Tuhi Hai Vo Bhramari Chitt Ko Bhramit Karti Hai
Writer ✍️ #Halendra Prasad #CISF
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हे मन तूही है वो भ्रमरी चित्त को भ्रमित करती है
भजती हरीजी का नाम ना तू तो मतिभ्रम करती है
डर भय लगता नाही हरी के साथ में
चंदा मामा रोशनी देवे शीतल प्रकाश में
खुशियों की सागर है वो सुख की समन्दर
भक्ति के लक्षण भगवन भजन कीर्तन अर्चन
चरण स्मरण सेवन वंदन भाव और साख्य
आत्मनिवेदन भगवन केसर के समान
हे मन तूही है वो भ्रमरी चित्त को भ्रमित करती है
भजती हरीजी का नाम ना तू तो मतिभ्रम करती है
प्रेम ज्ञान का रस देते सबको बताते है
वेद सुकदेव नारद शारदा भौंरे बनके गुनगुनाते है
प्रसन्न होते शिव ब्रम्हा हरी गुण गाते है
पुण्य रूपी जल पाकर डमरू बजाते है
प्रकट होते कृष्ण भगवन सूर्य जैसा चमके
छोड़दे तू भ्रमरी को सूरज जैसा दमके
प्रेम के सागर है प्रभु खुशियां लुटाते है
जोभी आता शरण इनकी ज्ञानको जगाते है
हे मन तूही है वो भ्रमरी चित्त को भ्रमित करती है
भजती हरीजी का नाम ना तू तो मतिभ्रम करती है
चल तू उस वन में जहां हरी जी रहते है
गूंजे राम का नाम अमृत वही रस बहते है
कान को तू भरले अपनी कौन तेरा पुत्र है
तू किसका पिता है कौन तेरी पत्नी है
कौन तेरा घर है मन शरीर तो तेरा कौआ
कुत्ता गीदड़ नोच कर खायेगा क्या तेरा भुऊआ
जिसको तू तो मेरा कहता वो तो तेरा है ना
मुक्ति वाराणसी मिलता वहा तू गया ना
हे मन तूही है वो भ्रमरी चित्त को भ्रमित करती है
भजती हरीजी का नाम ना तू तो मतिभ्रम करती है
गीत =} #हे मन तूही है वो भ्रमरी चित्त को भ्रमित करती है
#He Man Tuhi Hai Vo Bhramari Chitt Ko Bhramit Karti Hai
Writer ✍️ #Halendra Prasad #CISF
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