संग पुरुषों के बैठ स्त्री नारी संज्ञा दिखाई है, Sang Purusho Ke Baith Stri Nari Sangya Dikhai Hai, Writer ✍️ #Halendra Prasad, कविता
गीत =} #संग पुरुषों के बैठ स्त्री नारी संज्ञा दिखाई है
#Sang Purusho Ke Baith Stri Nari Sangya Dikhai Hai
Writer ✍️ #Halendra Prasad #CISF
BLOGGER=} 🙏♥️ #मेरी_आशिक़ी_मेरी_माँ ♥️🙏
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संग पुरुषों के बैठ स्त्री नारी संज्ञा दिखाई है
दिल सुन्दर है प्रेम की दरिया अपनी नाम बनाई है
ममता की सागर है नारी प्रीत अमृत की बगिया
सावन की बारिश है नारी वसन्त ऋतु की कलियां
पुरुषों जैसा काम करे जब जग में अपना नाम करे
मन मन्दिर में प्रेम उमड़कर प्रसन्न हर्षित का प्यार भरे
कर्मयोगनी होती नारी बल शक्ति हैं कर्म अपार
भार्या पत्नी सहध्रमणि माता बनकर देती प्यार
पर्वत भी झुक जाता है वायु भी रुक जाता है
काम काज को देख जमाना आंख नहीं खोल पाता है
सर पे आंचल मन में बादल फूलों को सीच जाती
आसमान से आती जब हरी भरी कर जाती
धूल जीवन से उड़ जाता जिसपे हो नारी की छाया
धोती है कीचड़ को नारी जिसपे हो ममता का माया
हंसती बोलती और बतलाती है सबको सगा बनाती है
जन जन में झलकाती है अपना रूप दिखाती है
कुल बधू सुलभ शीतल बन पालन पोषण करती
बन्धन में बंधकर कर नारी पुरुषों के आगे चलती
नारी नही हो आज तुम मानवी की सुख धाम हो
प्रिय प्रीत की गंगा जमुना अनी की पुलकित बगिया
निज द्वंद्व प्रतिष्ठा पाती बैठ जनों के साथ
मधुर रस की बोली बोलती माधुरी रस मुस्कान
तूने निज मन से तुच्छ कथन वचन उतारी
उपकार की तू जगकी नारी हृदय द्वार है न्यारी
गीत =} #संग पुरुषों के बैठ स्त्री नारी संज्ञा दिखाई है
#Sang Purusho Ke Baith Stri Nari Sangya Dikhai Hai
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